फैराडे के विद्युत चुंबकीय प्रेरण संबंधी नियम बताइए
विषय - भौतिक विज्ञान { PHYSICS }
कक्षा - 12
विषय वस्तु - फैराडे का नियम
उद्देश्य - (1) चुंबक के द्वारा परिपथ में धारा कैसे प्रवाहित होती हैl
(2) किसी चुंबक के द्वारा बल्ब को कैसे जलाया जा सकता हैl
(3) किसी चुंबक के द्वारा कुंडली में प्रेरित धारा किस प्रकार से
उत्पन्न होती हैl
प्यारे बच्चों आप सभी का स्वागत है आज इस आर्टिकल में विद्युत चुंबकीय प्रेरण से किसी परिपथ में बल्ब का जलना आज हम सीखेंगे सामान्य भाषा में किसी चुंबक के द्वारा किसी परिपथ में बल्ब को कैसे जलाया जा सकता है जानेंगे-
सर्वप्रथम तांबे के विद्युत रोधी तार की कुंडली बनाकर उसके दोनों सिरों के मध्य एक धारामापी जोड़ देते हैंl जब एक दंड चुंबक को उसके पास लाते हैं तथा दूर ले जाते हैं तो निम्न प्रकार की घटनाएं हमें देखने को मिलती हैl जिससे हम समझ सकते हैं की चुंबक को पास ले जाने पर परिपथ में लगा हुआ बल्ब कब जलता है और कब बुझ जाता हैl यानी परिपथ में धारा कब प्रवाहित होती है और कब नहीं होती है यह केवल चुंबक को पास ले जाने और दूर ले जाने पर निर्भर करता हैl
जब चुंबक के N-ध्रुव को कुंडली के पास लाते हैं तो परिपथ में धारा प्रवाहित होती हैl उस दौरान परिपथ में लगा बल्ब चलना प्रारंभ होता हैl
जब चुंबक को रोक देने पर परिपथ में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती उस दौरान परिपथ में लगा बल्ब नहीं जलता हैl
N-ध्रुव को चुंबक से दूर ले जाने पर धारामापी में पुन: धारा प्रवाहित होती हैं परिपथ में लगा हुआ बल्ब पुनः जलना प्रारंभ होता हैl
यदि इसी प्रक्रिया को S-ध्रुव के साथ दोहराते हैं तो परिपथ में धारा बहती है बल्ब जलता है और बंद भी होता हैl जब चुंबक को कुंडली के पास लेकर आते हैं तो परिपथ में धारा प्रवाहित होती है और बल्ब जलना प्रारंभ होता है लेकिन धारामापी में दिशा बदल जाती हैl
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जब S-ध्रुव चुंबक स्थाई कर देते हैं तो परिपथ में धारा प्रवाहित नहीं होती इसलिए धारामापी में दिशा नहीं बदलती हैl
यदि चुंबक को तेजी से कुंडली के पास लाया और कुंडली से दूर ले जाते हैं तो परिपथ में धारा प्रवाहित होती है और बल्ब जलना तेजी से स्टार्ट होता हैl
ठीक इसी प्रकार जब हम कुंडली के पैरों की संख्या को बढ़ा देते हैंl तो परिपथ में लगा हुआ विद्युत बल्ब को जब चुंबक के संपर्क में लाया जाता है तो विद्युत बल्ब तेज प्रकाश से जलता हैl
चुंबक को स्थिर रखकर कुंडली को उसके पास लाने या दूर ले जाने पर परिपथ में धारा प्रवाहित होती है और धारामापी में दिशा भी बदलती हैl
चुंबक और कुंडली के मध्य आपेक्षिक गति होने के कारण ही परिपथ में विद्युत बल्ब जलता हैl
निष्कर्ष - फैराडे ने अपने प्रयोगों के आधार पर बताया की जब कुंडली से बद्ध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो उस कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है और यही प्रेरित विद्युत धारा चुंबक और कुंडली के मध्य आपेक्षिक गति के कारण होती हैl
वीडियो लिकं - https://drive.google.com/file/d/1fDdocz3gcqQcJOJ9fQE_KJOCKyaQthG6/view?usp=drivesdk
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